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साहित्यश्री सम्मान
साहित्यश्री सम्मान
प्रति वर्ष राष्ट्रीय स्तर पर साहित्य एवं संस्कृति के क्षेत्र में उल्लेखनीय अवदान के लिए प्रतिष्ठित 'श्री मलाराम माली स्मृति साहित्यश्री सम्मान' की घोषणा राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति द्वारा की जाती है । इस बार संस्था का सर्वोच्च सम्मान लब्धप्रतिष्ठ व्यंग्यकार प्रेम जनमेजय को उनके समग्र साहित्यिक अवदान के लिए अर्पित किया जाएगा। सम्मान हेतु विगत 20 वर्षो के सम्बन्धित क्षेत्र के योगदान को आधार के रूप में रखा जाता है । देश भर में चर्चित यह सम्मान 14 सितम्बर को संस्था के वार्षिकोत्सव के अवसर पर श्रीडूंगरगढ में अर्पित किया जाता है । श्री प्रेम जनमेजय व श्री माधव नागदानागदा से पूर्व राजेन्द्र यादव, से.रा.यात्री, विष्णु प्रभाकर, हरीश भादानी, यादवेन्द्र शर्मा 'चन्द्र', पंकज बिष्ट और प्रखर युवा समालोचक पल्लव सहित 50 से अधिक विद्वान मनीषियों को संस्था की सर्वाच्च मानद् उपाधि से अलंकृत किया जा चुका है ।
सभी सम्मानित साहित्यकारों को पुरस्कार स्वरूप ग्यारह हजार रूपये नगद राशि के साथ सम्मान-पत्र, स्मृति-चिह्न, शॉल अर्पित किए जाते है ।
'साहित्यश्री' सम्मान से अब तक अलंकृत विद्वतगण
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विचारशीलता की कर्म स्थली : राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति, श्रीडूंगरगढ़
सांस्कृतिक मूल्यों के संवर्द्धन व अनुरक्षण की भावना से स्थापित संस्था